अस्थमा या दमा क्या है?
दमा फेफड़ों की ऐसी बीमारी होती है जिसके कारण व्यक्ति को साँस लेने में कठिनाई होती है। खाँसी के कारण फेफड़े से कफ उत्पन्न होता है लेकिन इसको बाहर लाना काफी कठिन होता है। आयुर्वेद में अस्थमा को तमक श्वास कहा गया है। यह वात एवं कफ दोष के विकृत होने से होता है। इसमें श्वास नलियाँ संकुचित हो जाती हैंं जिसके कारण छाती में भारीपन का अनुभव होता है तथा साँस लेने पर सीटी जैसी आवाज आती है।
अस्थमा के प्रकार-
एलर्जिक अस्थमा - किसी विशेष वस्तु से एलर्जी होती है जैसे धूल मिट्टी के सम्पर्क में आते ही साँस फूलने लगती है या मौसम में परिवर्तन के कारण भी दमा हो सकता है।
नॉन एलर्जिक अस्थमा - जब कोई बहुत अधिक तनाव में हो या बहुत सर्दी या खाँसी जुकाम लगने पर यह होता है।
सिजनल अस्थमा - पूरे वर्ष न होकर किसी विशेष मौसम में पराग कण या नमी के कारण होता है।
अकुपेशनल अस्थमा - यह कारखानों में काम करने वाले लोगों को होता है।
अस्थमा के लक्षण-
दमा या अस्थमा के लक्षण के रूप में सबसे पहले सांस लेने में कठिनाई होती है। इसके अतिरिक्त और भी लक्षण होते हैं-
● बार-बार खाँसी आना। अधिकतर दौरे के साथ खाँसी आना।
● साँस लेते समय सीटी की आवाज आना।
● छाती में जकड़ाहट तथा भारीपन।
● साँस फूलना।
● खाँसी के समय कठिनाई होना और कफ न निकल पाना।
● गले का अवरूद्ध एवं शुष्क होना।
● बेचैनी होना।
● नाड़ी गति का बढ़ना।
अस्थमा को रोकने के उपाय-
● दमा के मरीज को बारिश, सर्दी और धूल भरे स्थान से बचना चाहिए। बारिश के मौसम में नमी के बढ़ने से संक्रमण बढ़ने की संभावना होती है।
● अधिक ठण्डे और अधिक नमी वाले वातावरण में नहीं रहना चाहिए, इससे अस्थमा के लक्षण बढ़ सकते हैं।
● घर से बाहर निकलने पर मास्क लगा कर निकलें।
● सर्दी के मौसम में धुंध में जाने से बचें।
● ताजा पेंट, कीटनाशक, स्प्रे, अगरबत्ती, मच्छर भगाने का कॉइल का धुआँ, खुशबुदार इत्र से जितना हो सके बचे।
● धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों से दूर रहें।
अस्थमा रोग में आहार-
गेहूँ, पुराना चावल, मूँग, कुल्थी, जौ, पटोल का सेवन करें। अस्थमा के मरीजों को आहार में हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करना चाहिए। पालक और गाजर का रस अस्थमा में काफी लाभकारी होता है। आहार में लहसुन, अदरक, हल्दी और काली मिर्च को जरूर शामिल करें, यह अस्थमा से लड़ने में सहायता करते हैं। गुनगुने पानी का सेवन करने से अस्थमा के इलाज में सहायता मिलती है। शहद का भी सेवन करें।
अस्थमा का घरेलू उपचार करते समय इनका सेवन नहीं करना चाहिए-
मछली, गरिष्ठ भोजन, तले हुए पदार्थ न खाएँ। अधिक मीठा, ठण्डा पानी, दही का सेवन न करें। अस्थमा के रोगियों को प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा वाली चीजों का सेवन कम से कम करना चाहिए।कोल्ड ड्रिंक, ठण्डा पानी और ठण्डी प्रकृति वाले आहारों का सेवन नहीं करना चाहिए। अण्डे, मछली और मांस जैसी चीजें अस्थमा में हानिकारक है।
अस्थमा रोग में जीवन शैली -
प्रिजरवेटिव युक्त एवं कोल्डड्रिंक आदि का बिल्कुल भी सेवन न करें, इससे सांस की बीमारी का इलाज में बाधा उत्पन्न होती है। नियमित रूप से प्राणायाम एवं सूर्य नमस्कार करने से अस्थमा से राहत मिलती है। ठण्डे तथा नमीयुक्त वातावरण में न रहें। अत्यधिक शारीरिक व्यायाम न करें। योगासन करने से सांस की बीमारी का उपचार करने में सहायता मिलती है। अगर आप अस्थमा का जड़ से इलाज करना चाहते हैं तो उपरोक्त बातों पालन गंभीरता से करें।
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