टायफाइड : लक्षण, कारण एवं घरेलु उपचार एवं देखभाल !

टायफाइड : लक्षण, कारण एवं घरेलु उपचार एवं देखभाल !
टाइफाइड साल्मोनेला बैक्टीरिया से फैलने वाली एक  अत्यंत नुकसान दायक बिमारी है। टाइफाइड पाचन तंत्र और रक्त संचरण में बैक्टीरिया के इंफेक्शन के कारण होता है। अस्वच्छ जल, संक्रमित जूस या पेय के साथ साल्मोनेला बैक्टीरिया हमारे शरीर के अन्दर प्रवेश कर जाता है। टाइफाइड का बैक्टीरिया पानी या सूखे मल में हफ्तों तक जीवित रहता है। इस प्रकार के दूषित पानी या खाद्य पदार्थों के माध्यम से शरीर में पहुँचकर संक्रमण फैलाता है। किसी संक्रमित व्यक्ति के जूठे खाद्य-पदार्थ के खाने या पीने से भी टायफाइड की संभावना हो सकती है। वहीं दूषित खाद्य पदार्थ के सेवन से भी यह संक्रमण हो जाता है। पाचन तंत्र में पहुँचकर इन बैक्टीरिया की संख्या बढ़ जाती है। शरीर के अन्दर ही ये बैक्टीरिया एक अंग से दूसरे अंग में पहुँच जाते हैं।

टाइफाइड का कारण : 
साधारणतया प्रदूषित पानी पीना व संक्रमित और बासी भोजन का सेवन करना टाइफाइड होने का मुख्य कारण है। वात, पित्त, कफ तीनों दोषों के कारण से टाइफाइड होता है। टाइफाइड एक संक्रामक रोग है। इसी कारण घर में किसी एक सदस्य को टाइफाइड होने पर घर के अन्य सदस्यों से भी इसके होने से खतरा होता है। मौसम में बदलाव और कुछ गलत आदतों के कारण इस बुखार के वायरस बहुत परेशान करते हैं। 

टायफाइड के लक्षण :
◆ बुखार टाइफाईड का प्रमुख लक्षण है।
◆ धीरे धीरे भूख कम होना।
◆ सिर दर्द होता है।
◆ पूरे शरीर में वेदना होना।
◆ ठण्ड की अनुभूति होना।
◆ सुस्ती एवं आलस्य का अनुभव होना।
◆ कमजोरी का अनुभव होना।
◆ दस्त होना।
◆ आमतौर पर 102-104 डिग्री से ऊपर बुखार रहता है।

टाइफाइड से बचाव के उपाय
◆ प्याज, लहसुन आदि तीव्र गंधि खाद्य पदार्थों का सेवन ना करें।
◆ सभी मसाले जैसे कि मिर्च, सॉस, सिरका आदि से दूर रहें।
◆ गैस बनाने वाले आहार जैसे- अनानास, कटहल आदि।
◆ उच्च रेशेदार युक्त आहार, सब्जियाँ जिनमें उच्च मात्रा में रेशा, अघुलनशील रेशा जैसे-केला, पपीता, शक्करकन्द, साबुत अनाज।
◆ मक्खन, घी, पेस्ट्री, तले हुए आहार, मिठाईयाँ बिल्कुल नहीं खाना चाहिए।
◆ बाजार की बनी हुई चीजें न खायें।
◆ भारी भोजन न करें।
◆ मांसाहारी भोजन न करें।
◆ पेट भरकर कुछ भी न खायें।
◆ ऐसा भोजन न करे जो देर से पचता हो।
◆ चाय, कॉफी, शराब, सिगरेट के सेवन का टाइफाइड में परहेज करें।
● उचित स्वच्छता बनाये रखें।
● अपने हाथों को गर्म साबुन युक्त पानी से धोएं।
● साफ उबला पानी पीएं, या केवल बोतल बंद पानी पिएं।
● कच्चा आहार न लें।
● उचित तरीके से पका भोजन गरमा-गरम ही खा लें।
● बाहरी दुकानों से पेय पदार्थ और खाद्य पदार्थ न लें।
● संक्रमित व्यक्ति को घरेलू कार्यों से दूर रखें।
● संक्रमण को रोकने के लिए संक्रमित व्यक्ति के व्यक्तिगत उपयोग की वस्तुओं को उचित प्रकार से स्वच्छ करें।
● संक्रमित व्यक्ति के बर्तन और भोजन किसी से भी न बांटे।
● संक्रमित व्यक्ति को भोजन भी नहीं पकाना चाहिए।
● कच्चे फल और सब्जियाँ खाने से बचें।
● ज्यादातर गर्म खाद्य-पदार्थों का सेवन करें।
● संग्रहित खाद्य-पदार्थों से बचें।
● घर की चीजों को नियमित रूप से साफ करें।
नहाने से मनुष्य का शरीर दृढ़ और मजबूत हो जाता है। उसे ताजगी की अनुभूति होती है। टाइफाइड में रोगी जब तक थकान या आलस्य अनुभव न करे और स्वयं उठकर नहाने योग्य हों तो उसे गरम पानी से स्नान करना चाहिए। यदि रोगी स्वयं उठकर स्नान न कर पाए तो उसके शरीर में स्पौंजिंग करनी चाहिए। नहाने और स्पौंजिंग के लिए हमेशा गर्म पानी का उपयोग करें। पसीना आने से बुखार कम हो जाता है।

टाइफाइड के घरेलू उपचार
साधारणतया टाइफाइड से आराम पाने के लिए लोग पहले घरेलू उपाय अपनाते हैं। आइए जानते हैं घरेलू उपाय हैं जो टाइफाइड दूर करने में सहायता करते हैं-
फलों का रस :
टाइफाइड जैसे रोग अक्सर डिहाइड्रेशन का कारण बनते हैं, इसलिए रोगी को कुछ-कुछ समय बाद तरल पदार्थ जैसे पानी, ताजे फल के रस, हर्बल चाय आदि का सेवन करना चाहिए। उबला और उचित तरीके से उबला हुआ पानी पीएं। केवल उबला आहार लें और बाहरी खाने से परहेज करें।
तुलसी :
तुलसी और सूरजमुखी के पत्तों का रस निकालकर पीने से टाइफाइड में राहत मिलती है।
सेब का रस :
सेब का जूस निकालकर इसमें अदरक का रस मिलाकर पिएं, इस तरह के बुखार में राहत मिलती है।
लौंग का पानी :
लौंग में टाइफाइड ठीक करने के गुण होते हैं। आठ कप पानी में 5 से 7 लौंग डालकर उबाल लें। जब पानी आधा रह जाए इसे छान लें। इस पानी को पूरा दिन पीएं। इस उपचार को एक हफ्ते लगातार करें।
लहसुन :
लहसुन की तासीर गर्म होती है और यह प्राकृतिक एंटीबायोटिक है। घी में 5 से 7 लहसुन की कलियां पीसकर तलें और सेंधा नमक मिलाकर खाएं।
ठंडे पानी की पट्टी :
टाइफाइड में पीड़ित को तेज ज्वर रहता है, यह कई दिनों तक बना रहता है, ऐसे में यह आवश्यक है कि रोगी के शरीर का तापमान सामान्य बनाए रखें, इसलिए ठण्डे पानी की मदद ले सकते हैं। रोगी के माथे, पैर और हाथों पर ठण्डे पानी की पट्टियां रखनी चाहिए।
शहद :
गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद मिलाकर पीना टाइफाईड में अत्यन्त हितकारी होता है।

डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए 
यदि आपको तेज बुखार पेट में दर्द, कमजोरी और टाइफाइड सम्बन्धित कोई भी लक्षण अनुभव होना शुरु हो जाए तो जल्द से जल्द डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए। डॉक्टर के पास जाने में विलम्ब न करें अन्यथा यह एक गम्भीर रोग में परिवर्तित हो सकता है, जैसे- आंत्र में शोथ। समय पर चिकित्सा न करने पर क्षत बढ़कर आंत्र में छेद कर देते हैं व उदर की कला में शोथ उत्पन्न हो जाता है। अधिक क्षत बढ़ने पर कभी-कभी मल त्याग के समय रक्तस्राव होने लगता है।
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स्वास्थ्य के लिए अन्य उपयोगी बातें :
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अस्वीकरणउपरोक्त सभी लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किये गये है। डॉक्टर्स विला किसी भी लेख में दी हुई जानकारी व सूचना के बारे में किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही उत्तरदायित्व लेता है। बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने चिकित्सक से परामर्श लें।


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