मानसिक रोग को ना समझें पागलपन

             
मानसिक रोग को ना समझें पागलपन
मानसिक रोग कोई पागलपन नहीं है। कई बार लोगों को पता ही नहीं चल पाता कि वह इस बीमारी का शिकार हैं। मानसिक रोग की शुरुआत होती है अवसाद से। आज की भागदौड़ की ज़िंदगी में लोगों में अवसाद बढ़ता जा रहा है। इसी का परिणाम है कि वर्ष 2020 तक अवसाद दुनिया की सबसे बड़ी बीमारी हो जाएगी।
मानसिक रोग की परिधि में बहुत सारी बीमारियाँ आती हैं जैसे जो सबसे ज्यादा प्रचलित अवसाद, उलझन, घबराहट, शरीर में के जगहों पर दर्द होना बीमारियाँ है, जिन्हें सामान्य मानसिक विकार कहते हैं। ऐसी बीमारी जिसका कोई शारीरिक कारण नहीं होता है, लेकिन शारीरिक रूप से दिखाई देती हैं, सामान्य तौर पर इन्हें दैहिक विकार बोलते हैं।
              इसके अलावा एक बहुत बढ़ा ग्रुप नशीले पदार्थों के सेवन करने वालों का देखा गया है, इसके अलावा एक और ग्रुप होता है जिसे सामान्य रूप से पागल के नाम से जानते हैं, लेकिन इस बीमारी से ग्रसित बहुत कम लोग होते हैं। इस पागलपन की बीमारी वाले लोग समाज में प्रचलित ज्यादा हो जाते हैं क्योंकि ये लोग तोड़-फोड़, गाली-गलौज, कपड़े उतार के फेक देना और लोगों से बुरा बर्ताव करने लगते हैं। ये सारी मुख्य मानसिक बीमारियाँ होती हैं।
              यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है हमारे देश की, जिसमें लोग मानसिक रोगों को छिपाने का प्रयास करते हैं। मानसिक रोग विशेषज्ञ के पास जाने से परहेज करते हैं। मानसिक रोगों से पीड़ित लोगों का मानना होता है कि मानसिक रोग विशेषज्ञ पागलों के डॉक्टर हैं जबकि पागलपन की बीमारी एक प्रतिशत से भी कम होती है जबकि जो बाकी की बीमारियाँ अवसाद है उलझन, घबराहट और बार हाथ-पैर को धोना इस तरह की बीमारियाँ आती हैं।
              सारी बीमारियों को सिर्फ पागलपन से जोड़ कर नहीं देखा जाना चाहिए और जब तक मरीज गंभीर स्थिति में नहीं पहुँच जाता है तबतक लोग उसे लेकर डॉक्टर के पास नहीं आते हैं। हमारा मानना है कि मानसिक बीमारी को व्यक्ति के व्यवहार में बदलाव होने के बाद ही उसे तुरंत डॉक्टर के पास लेकर जाना चाहिए जिससे उसका इलाज हो सके और वो ठीक हो जाये।
              ग्रामीण क्षेत्रों में और शहरी क्षेत्रों में लक्षण एक ही जैसे होते हैं अवसाद की बीमारी है, जो सबसे ज्यादा प्रचलित है उसके बारे में बात करें तो इसमें नींद नहीं लगती है, भूख नहीं लगती है, शरीर का वजन कम हो रहा है, मन दुखी है, मन उदास है, किसी से भी मिलने का मन नहीं करता है, नकारात्मक बातें मन में बहुत आती हैं कि मैं कुछ कर नहीं कर सकता हूं, जब यह बीमारी बहुत आगे बढ़ जाती है तब दिमाग में आत्महत्या जैसे ख्याल आ जाते हैं। ऐसा होने पर उन्हें तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए। कुछ लोगों को अँधेरे से दर लगता है लिफ्ट में जाने से दर लगता है बंद जगहों पर जाने से दर लगता है। ये सब ऐसी बीमारियाँ हैं जो जल्द ही ठीक हो जाती हैं इसलिए ऐसा कुछ भी होने पर डॉक्टर से सलाह जल्द ही लेनी चाहिए।
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